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Listen out podcasts on issues that matter!
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The third episode features Nidhi Suresh who takes us to Lakhimpur and Hathras, and makes visible the violence that takes place on the scene post the crime. She negotiates quid pro quo with local reporters and highlights the importance of slow and quiet questions even (and especially) when hordes of reporters are covering one story.
Nidhi Suresh is a freelance journalist who has previously reported for Newslaundry and Deutsche Welle. After reporting in Kashmir for a year, she completed her Masters in conflict studies and human rights from Utrecht University, Netherlands. At Newslaundry, she covered gender, crime and politics.
10 years ago, F-Rating was created to help classify films which are written or directed by one or more female film-makers, or feature complex female characters who contribute significantly to the story. But what if ‘feminist’ is not a noun but an adjective? What if the feminist lens lends itself to all practices and not only film-making? Nirantar Radio brings to you ‘F-Rated Interviews’ where The Third Eye team speaks to different practitioners about their practice - but with a feminist lens.
New episode every fortnight.
Check out The Third Eye’s Crime edition at https://thethirdeyeportal.in/volume/volume-005-crime/
Explore more at www.thethirdeyeportal.in and www.thethirdeyehindi.in
Produced by: Juhi Jotwani and Madhuri Adwani
Artwork: Tavisha Singh
फ(F) रेटेड इंटरव्यूह के तीसरे एपिसोड में मिलते हैं निधि सुरेश से जो हमें लखीमपुर और हाथरस ले जाती हैं और घटनास्थल पर अपराध के बाद होने वाली हिंसा को अपनी पत्रकारिता के ज़रिए दिखाती हैं। वह स्थानीय पत्रकारों के साथ काम करने के लिए रणनीतियाँ आज़माती हैं और धीमे और शांत प्रश्नों के महत्व पर प्रकाश डालती है, तब भी (और विशेष रूप से) जब पत्रकारों की भीड़ एक कहानी को कवर कर रही हो।
निधि सुरेश एक स्वतंत्र पत्रकार हैं जो पहले न्यूज़लॉन्ड्री और डॉयचे वेले (Deutsche Welle) के लिए रिपोर्ट कर चुकी हैं। एक साल तक कश्मीर में रिपोर्टिंग करने के बाद, उन्होंने यूट्रेक्ट विश्वविद्यालय, नीदरलैंड से संघर्ष अध्ययन और मानवाधिकार (conflict studies and human rights) में पढ़ाई पूरी की। न्यूज़लॉन्ड्री में, उन्होंने जेंडर, अपराध और राजनीति को कवर किया।
अक्टुबर 2014 में आयोजित बाथ फ़िल्म फेस्टिवल के दौरान पहली बार एफ (F) रेटिंग की शुरुआत हुई. एफ (F) रेटिंग का मतलब उन फ़िल्मों से है जिसकी निर्देशक महिला हों, या फ़िल्म की लेखक महिला हों और अगर कोई महिला मुख्य किरदार की भूमिका में है तो फ़िर वह कहलाता है गोल्ड रेटिंग, मतलब ट्रिपल एफ (F)! दरअसल, एफ (F) रेटिंग की बुनियाद फ़िल्मों में और पूरी फ़िल्म उद्योग में महिलों के लिए बराबरी के दर्ज़े से है.
कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया जहां नारीवादी नज़रिया सिर्फ़ फ़िल्मों में ही नहीं बल्कि सभी प्रथाओं में केन्द्रिय भूमिका में हो? इस कल्पना को साकार करते हुए आज हम इस नारीवादी नज़रिये को पॉडकास्ट के बरास्ते आपके पास लेकर आए हैं. इस शो में आप मिलेंगे अलग-अलग क्षेत्रों काम करने वाले अभ्यासकर्ताओं से और नारीवादी नज़र को केन्द्र में रखते हुए द थर्ड आई टीम के साथ होंगी रोचक, शानदार, जानदार बातें.
द थर्ड आई अपराध संस्करण को यहां देखें: https://thethirdeyehindi.in/volume/ank-005-apraadh/
हिन्दी और अंग्रज़ी में हमारी वेबसाईट का पता: https://thethirdeyehindi.in/ और https://thethirdeyeportal.in/
निर्माता : जुही जोतवानी और माधुरी आडवाणी
कवर इमेज : तविशा सिंघ
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Robert Fox
August 25, 2022
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August 25, 2022
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